Parivartini Ekadashi 2021: digi desk/BHN/ शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान नारायण के वामन अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु योग निद्रा में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं। इस वजह से इसे परिवर्तिनी एकदाशी कहा जाता है। वहीं वामन एकादशी और जयंती एकादशी भी कहा जाता है। बता दें इस समय चातुर्मास चल रहा है। देवउठनी एकादशी के दिन से विष्णु योग निद्रा से बाहर आएंगे। फिर मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और धार्मिक महत्व।
परिवर्तिनी एकादशी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तारीख 16 सितंबर सुबह 9.39 मिनट से शुरू हो गई । यह 17 सितंबर की सुबह 8.08 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि लगेगी। 16 सिंतबर को एकादशी पूरे दिन रहेगी। उदया तिथि में व्रत रखने की मान्यता के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी उपवास 17 सिंतबर को रखा जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
- पुण्य काल- सुबह 6 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर मिनट तक
- पूजा की कुल अवधि – 6 घंटे 8 मिनट
- 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक महापुण्य काल रहेगा।
- महापुण्य काल अवधि – 2 घंटे 3 मिनट
परिवर्तिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। फिर स्वच्छ कपड़े पहनें। अब घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। अब पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। नारायण को भोग लगाएं। अब आरती कर प्रसाद का वितरण करें।
परिवर्तिनी एकादशी महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार जो जातक परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखता है। वह वामन अवतार की विधिपूर्वक आराधना करता है। उसे शुभ फल मिलता है। पाप नष्य होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।