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कोटा में दम तोड़ रहीं गायें, 10 दिन में तड़प-तड़प कर 140 की मौत

कोटा.

राजस्थान के कोटा से चौंका देने वाली खबर सामने आ रही हैं। यहां 163 गायों की मौत की खबर है। 10 दिन में ही 140 गायों की मौत की खबर है। वजह के कंपकंपा देने वाली ठंड औ गौशाला की बिगड़ती व्यवस्था।  शहर में लगातार बढ रही कड़ाके की ठंड से जहां एक ओर आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर इस हार्ट कंपा देने वाली सर्दी की वजह से कोटा में 140 गायों की मौत हो गई। बीते 10 दिनों से शहर की निगम गौशाला में गायें तड़प-तड़पकर मर रही है।

इस गौशाला की कायाकल्प बदलने के लिए करीब 16 करोड़ का बजट होने के बाद भी गोशाला में मौजूद दो हजार से भी भी अधिक गायें अभी भी बर्फीली सर्दी में खुले में रह रही है। वहीं जिम्मेदार अधिकारी इन गायों की मौत के आंकड़े को झूठा बताकर अपनी जिम्मेदारी से पलड़ा झाड़ रहे है। ऐसे में अगर गायें बीमार हो जाए तो डॉक्टर तक उपलब्ध नहीं है। केवल 8 कंपाउंडर के भरोसे ये गोशाला चल रही है।

बजट होने के बाद भी निगम अधिकारियों की लापरवाह की हदें पार
बंधा धर्मपुरा में बनी दो गौशालाओं में व्यवस्था सही करने की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम के अधिकारियों की है। करीब 16 करोड़ का इस गौशाला का बजट है और सरकार अपनी तरफ से अलग से 3 करोड़ की सब्सिडी देती है। निगम के राजस्व अधिकारी दिनेश कुमार शर्मा के अनुसार नगर निगम का जो 16 करोड़ का बजट था उसमें 3 करोड़ रुपए निर्माण के हैं, बाकी 13 करोड़ रुपए में गोवंशों के खाने, बीमारियों और स्टाफ के खर्च निकल जाते हैं।

अबतक कुल 163 गायों की हुई देखरेख के अभाव में मौत
भीषण सर्दी और अन्य कारणों से निगम गौशाला में गायों की मौतों का सिलसिला लगातार ही बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अबतक कुल 163 गायों की मौत हो चुकी है। इन गायों की मौतो के लगातार बढ़ते आंकड़ों के बाद अब निगम प्रशासन हरकत में आ गया है। ऐसे में निगम दक्षिण की कमिश्नर सरिता सिंह गौशाला का निरिक्षण करने पहुंची और जिम्मेदार अधिकारियों से इसका फीडबैक लिया। साथ ही गौशाला की दुर्दशा सुधारने के निर्देश भी दिए गए है। साथ ही कमिश्नर ने गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह से भी गौशाला की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी ली तो सामने आया कि कई बार निगम के अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी गौशाला की स्थिति को नहीं सुधारा गया।

पॉलीथिन उपयोग बैन को लेकर चलाया जाएगा अभियान
निगम अधिकारियों और समिति से मिली जानकारी में सामने आया है कि गोशाला में पहुंचने वाले ज्यादातर गोवंश बीमार होते हैं। इनकी बिमारी की वजह थैलियां खाना सामने आया है। ऐसे में मामले को गंभीरता से लेते हुए निगम दक्षिण कमिश्नर का कहना है कि निगम की ओर से शहर को पॉलीथिन मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जाएगा और खासकर दुकानदारों से इसको लेकर चर्चा की जाएगी।

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