नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में अब महज 4 महीने का ही वक्त बचा है। एनडीए से लेकर INDIA गठबंधन तक में हलचल है और सीट शेयरिंग, उम्मीदवारों के चयन पर चर्चाएं चल रही हैं। इस बीच अनुमानों का दौर भी शुरू हो गया है कि आखिर 2024 के रण में किसकी क्या संभावना है। ऐसा ही एक अनुमान भाजपा को लेकर है कि बीते 2 चुनावों की तरह इस बार की फाइट भी उसके लिए टाइट नहीं होगी, यदि INDIA गठबंधन अगले 4 महीनों में कोई बड़ा दांव नहीं चल पाता। या फिर अपने पक्ष में लहर नहीं तैयार कर पाता। INDIA गठबंधन को एकसूत्र में लाने की अगुवाई कर रही कांग्रेस के सामने ही शायद भाजपा सबसे सहज स्थिति में है।
चुनाव विश्लेषक मानते हैं कि देश की करीब 200 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा आसान जीत दर्ज कर सकती है। यह बड़ा आंकड़ा है क्योंकि सरकार बनाने के लिए जादुई नंबर 272 ही है। ऐसा कहने के आधार भी हैं क्योंकि यूपी की 80, गुजरात की 26, एमपी की 29, राजस्थान की 25, छत्तीसगढ़ की 11 और हिमाचल एवं उत्तराखंड की 9 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में ही सीधा मुकाबला है। इन सभी राज्यों में भाजपा ने 2019 में बंपर जीत हासिल की थी और उसका स्ट्राइक रेट 95 फीसदी के करीब था। इस लिहाज से देखें तो हालात अब भी कुछ खास बदले नहीं हैं।
इस बार तो राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, गुजरात और उत्तराखंड में भाजपा कहीं मजबूत स्थिति से राज्य सरकार चला रही है। यूपी को लेकर तो एबीपी, आज तक जैसे चैनलों के सर्वे लगातार भाजपा के 70 से पार रहने का अनुमान जता ही रहे हैं। यहां भी दशकों बाद कोई सरकार रिपीट हुई है और योगी की भी अच्छी लोकप्रियता है। साफ है कि योगी-मोदी की जोड़ी यहां भाजपा के लिए फिर से करिश्माई नतीजे ला सकती है। ऐसा ही हाल गुजरात का है, जहां भाजपा क्लीन स्वीप ही करती आई है। इस तरह गुजरात से लेकर हिमाचल तक भाजपा को कांग्रेस का मुकाबला करने में शायद ही कठिनाई हो। फिर तीन राज्यों की हार ने भी कांग्रेस का मोमेंटम तोड़ा है।
वोट प्रतिशत भी 3 फीसदी बढ़ने का अनुमान, होगा 40 के पार
एग्जिट पोल्स और चुनावों का अध्ययन करने वाले यशवंत देशमुख का आकलन तो यह है कि इस बार भाजपा का वोट प्रतिशत भी 2019 के मुकाबले 3 फीसदी बढ़ सकता है। ऐसा हुआ तो भाजपा 40 फीसदी वोट शेयर के पार होगी। यह वोट शेयर कितनी सीटों में तब्दील होगा यह कहना मुश्किल है, लेकिन यह तो अंदाजा लगता ही है कि बढ़े वोट शेयर का फायदा सीटों के तौर पर भी कुछ न कुछ मिलेगा ही। खासतौर पर बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्य यह तय करेंगे कि विपक्ष कितनी फाइट दे रहा है और उससे ही अंतर पैदा होगा।