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Surya Dosha: कुंडली में सूर्य दोष है तो हो सकते हैं कई रोगों के शिकार, अपनाएं ये उपाय

Vidhi upaaye surya dosha in horoscope do these remedies for diseases caused by suns defect in horoscope: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य ग्रहण लगने के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि व्यक्ति की कुंडली में भी सूर्य ग्रहण दोष लगता है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य का दोष है, तो आपको हड्डियों से जुड़ी बीमारियां या फिर आंखों की बीमारी हो सकती है। सूर्य दोष से हृदय रोग, पाचन तंत्र की बीमारियां और टीबी भी होती है। इस आर्टिकल में सूर्य देव से होने वाले रोग और उनके उपाय के बारे में जानेंगे।

आंख और ह्रदय सहित कई रोग

शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रह कुंडली में नकारात्मक और अशुभ स्थित हो तो व्यक्ति को कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। जैसे हृदय रोग, आंख से संबंधित रोग, पाचन तंत्र की बीमारियां। इसके अलावा सूर्य जब अशुभ फल देने लगता है, तो जोड़ों की हड्डी दर्द, शरीर अकड़न जैसे रोग होने लगते हैं। वहीं सूर्य देव अगर शनि देव से पीड़ित हैं, तो रक्त चाप जैसे रोग हो सकते हैं। गुरु से पीड़ित होने पर उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है। अगर सूर्य ग्रह कुंडली में नीच या अशुभ के स्थित हैं, तो चेहरे में मुंहासे, बुखार, टाइफाइड, मिर्गी, पित्त की शिकायत आदि बीमारी हो सकती हैं। यदि सूर्य देव किसी व्यक्ति की कुंडली में नकारात्मक स्थित हो तो उस व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की कमी हो सकती है।

यह सटीक उपाय करें

  • – कुंडली में सूर्यदेव की मजबूती के लिए प्रतिदिन सूर्य भगवान को जल चढ़ाना चढ़ाना चाहिए।
  • – सूर्य दोष और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए तांबे के पात्र से जल पीना चाहिए। वहीं रविवार के दिन तांबा और गेहूं का दान किसी जरूरतमंद या गरीब को करना चाहिए।
  • – सूर्य मजबूत करने के लिए रविवार के दिन स्नान के बाद लोटे में साफ जल लें और इसमें लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत और दूर्वा मिलाएं। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • – आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ रविवार के दिन करें। इसके साथ ही सूर्य देव को तांबे के पात्र में जल अर्पित करें और मनोकामना मांगें।

इन मंत्रों का करें जाप

– सूर्य देव के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें। ‘ऊं सूर्याय नम:,’ ‘ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः,’ ‘ऊं घृणि: सूर्यादित्योम’ और ‘ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:’ मंत्रों का जाप करेंगे।

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