Inspirational News:raipur/ राजनांदगांव जिले के मछुआरों ने मछली पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम कर दिखाया है। उन्होंने 235 करोड़ रुपए से भी अधिक की मछलियां बेचकर स्व-रोजगार की दिशा में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। जिले में 1084 समूह एवं समितियों तथा व्यक्तियों को शासन की ओर से अनुदान के रूप एक करोड़ 45 लाख रूपए की लागत से फिंगरलिग प्रदाय किया गया है।
वहीं दो लाख 40 हजार की लागत से 10 लोगों को मोटर सायकल एवं आइस बाक्स प्रदान किया गया हैं। अब तक 235 करोड़ 50 लाख स्पान उत्पादन किया गया है। वहीं, स्टे फ्राई में 131 करोड़ 92 लाख स्पान उत्पादन किया गया हैं। रोहू, कतला, मृगल एवं तिलापिया प्रजाति के मत्स्य पालन से जिले के मत्स्य पालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत बन रही है।
शासन की ओर से मत्स्य पालकों को विभिन्न योजनाओं के तहत मदद की जा रही है। जिले में महिलाएं भी मत्स्य पालन के लिए आगे आ रही हैं। बंद पड़े शासकीय खदानों जोड़ातराई, मुढ़ीपार में भी मत्स्य संचयन किया जा रहा है। अंबागढ़ चौकी विकासखंड के मोंगरा जलाशय में जिला प्रशासन व मत्स्य विभाग द्वारा केज कल्चर किया जा रहा है, जिसमें एक साथ व्यापक पैमाने पर तिलापिया प्रजाति का मत्स्य पालन किया जा रहा है।
मदद के रूप में 30 लाख बांटे
पट्टा धारक के साथ मछली निकालने वाले एवं मछली पालन में लगे सभी श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। एक करोड़ 88 लाख की लागत से 961 समूह, समिति व मत्स्य पालकों को नाव जाल का वितरण किया गया है। फुटकर मछली के लिए 361 मछुआरों को 18 लाख 15 हजार रुपये के आइस बाक्स का वितरण किया गया है। शासन की ओर से एक हजार समिति एवं समूह को बंद ऋतु दौरान बचत सह राहत योजना के तहत 30 लाख रुपये की मदद प्रदान की गई है। 85128.40 मिट्रिक टन मत्स्य उत्पादन किया गया। मत्स्य पालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
निःशुल्क दुर्घटना बीमा कराया गया
सहायक संचालक मछली पालन गीतांजलि गजभिए ने बताया कि मोंगरा जलाशय में दो करोड़ 88 लाख रुपये की लागत से 96 केज लगाकर केज कल्चर किया जा रहा है। 19039 मछुआरों का निःशुल्क दुर्घटना बीमा कराया गया है। शासन की ओर से झींगा पालन के लिए 105 किसानों को 5.49 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है। वहीं मछुआरों को कृषि मेला भ्रमण के लिए ले जाया गया और 3110 मछुआरों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है। 89 पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति को 57 लाख 82 हजार रुपये की राशि तीन वर्षीय अनुदान में दी गई है।