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Navratri : सोमवार को चतुग्रही योग में शुरू होगी नवरात्रि, 59 साल बाद आ रहा है यह योग

Navratri will start in chatugrahi yoga this yoga is coming after 59 years: digi desk/BHN/ग्वालियर/ सिंह वाहिनी मां दुर्गा इस बार शेर पर सवार ना होकर हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर से शुरू होकर 4 अक्टूबर तक चलेगा। इन दिनों में मैया की भक्ति में शहर डूबा रहेगा। बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही हैं। इस दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए लोग बहुत तरह से उनकी पूजा उपासना करेंगे। इस बात से सभी वाकिफ है। की माता की सवारी शेर है। लेकिन नवरात्रि मैं उनके वाहन उनके आगमन के दिनों के अनुसार बदलते रहते हैं। इस बार वाराणसी पंचांग और मिथिला पंचांग के अनुसार माता का आगमन हाथी पर होगा। जिसे शुभ माना जा रहा है। शारदीय नवरात्रि शुक्ल योग और ब्रह्म योग में शुरू होगी। वही कन्या राशि में बुध, सूर्य, शुक्र, चंद्रमा मिलकर चतुर ग्रही योग का निर्माण करेंगे। शुक्र ग्रह कन्या में नीच के होते हैं। किंतु बुध के साथ होने से नीच राज भंग योग बनाएंगे जिससे लक्ष्मी मां प्रसन्न होंगी।26 सितंबर को सुबह 8:06 से ब्रह्म योग लगेगा। जो 27 सितंबर को समाप्त होगा। वही शुक्ल योग 25 सितंबर सुबह 9:06 से अगले दिन 8:00 बजे तक रहेगा। शारदीय नवरात्रि में यह दोनों योग के होने से माता के भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि बढ़ेगी। संतान शिक्षा के साथ स्त्रियों के लिए धन प्राप्ति के अवसर नवरात्रि पर बनेंगे। तथा सर्वत खुशहाली और सुख संपदा फैलेगी।

ऐसे करें घटस्थापना

पवित्र स्थान की मिट्टी लेकर बेदी बनाएं वहां गेहूं वोये अपनी सामर्थ्य के हिसाब से बनाए गए। सोना, तांबा, मिट्टी के कलश को विधिपूर्वक स्थापित करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, पत्थर या मिट्टी की प्रतिमा रख दें, मूर्ति नहीं रख पाने की दशा में कलश पर स्वास्तिक और उनके दोनों और माता के चित्र रखकर पूजा अर्चना करें, कलश में जल, गंगाजल ,रोली, हल्दी सिक्का, सुपारी डालें। कलश के मुंह से 5 बार मौली बाधै। कलश के ऊपर आम के पत्तों में नारियल रखें। इसे भी मौली से बाधे। तुलसी का उपयोग नहीं करें।

घट स्थापना शुभ मुहूर्त

  • कन्या लग्न की शुभ चौघड़िया अमृत में सुबह 6:08 से 7:38 तक
  • शुभ चौघड़िया मुहूर्त 9:08 से 10:30 सुबह
  • अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:44 से 12:32 तक सर्वश्रेष्ठ
  • विजय मुहूर्त दोपहर 2:18 से 3:07 तक
  • गोधूलि बेला शाम 6:07 से 6:31 तक

शुगर और ब्लडप्रेशर के मरीज व्रत में रखें आहार का विशेष ध्यान

सोमवार से शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहा है। मंदिरों के साथ-साथ घर में भी घट स्थापना की जाएगी। शक्ति के आगे मस्तक झुकाते भक्त व्रत भी रखेंगे। कोई नौ दिन तक निराहार रहेगा तो कोई एकासना कर मां की आराधना करेगा। व्रत करना सेहत के लिए भी बेहतर होता है, क्योंकि इससे पाचनतंत्र भी बेहतर होता है। शरीर के विषैले तत्व भी बाहर निकलते हैं, लेकिन व्रत करने के भी कुछ सिद्धांत व नियम हैं। हर व्यक्ति व्रत कर सकता है लेकिन हृदय रोगी, किडनी की बीमारी से ग्रसित, कैंसर रोगी, जिन्हें मधुमेह या रक्तचाप असंतुलन की समस्या है, उन्हें चिकित्सक और आहार व पोषण विशेषज्ञ की सलाह से ही व्रत करना चाहिए। साथ ही व्रत के दौरान क्या व कितनी मात्रा में खाएं, इसकी जानकारी भी प्राप्त करनी चाहिए।

आहार व पोषण विशेषज्ञ डा. मुनीरा हुसैन के अनुसार, व्रत करना गलत नहीं है। व्रत शरीर के लिए लाभकारी ही होता है। व्रत से चयापचय प्रक्रिया बेहतर होती है लेकिन नौ दिन तक बगैर कुछ खाए-पिए रहना, आपकी सेहत पर बुरा असर भी डाल सकता है। जिन्हें मधुमेह या रक्तचाप की समस्या है, वे अधिक वक्त तक भूखे न रहें। व्रत में खाए जाने वाले पदार्थ थोड़ी-थोड़ी देर में खाते रहें ताकि शरीर में शर्करा का स्तर संतुलित रहे। व्रत में ऐसा आहार लें जो पोषण व ऊर्जा युक्त हो।

फलों का जूस लें – आहार व पोषण विशेषज्ञ डा. आरती मेहरा के अनुसार, व्रत के दौरान पानी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। व्रत में भी पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पानी यदि कम पीते हैं तो मौसंबी, अनानास का जूस, दूध, नारियल पानी, छाछ, दही पिएं। चाय-काफी का सेवन कम से कम करें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। मधुमेह रोगी केला, चीकू आदि फल न खाएं। सलाद का सेवन करें जो शरीर में पानी को अवशोषित भी करके रखेगा और भूख भी कम लगेगी। साबूदाना खाने के बजाए पौषि्टक आहार लें। जिन्हें केवल रक्तचाप की ही समस्या है और उन्हें नियमित दवाई भी खाने की जरूरत नहीं पड़ती, वे व्रत के दौरान मौसमी फल जैसे सेब, संतरा, केला आदि ज्यादा मात्रा में खाएं। फल ताजे और स्थानीय होना चाहिए।

दूध से बने पदार्थों का सेवन करें – आहार व पोषण विशेषज्ञ डा. शिवानी लोढ़ा के अनुसार, दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन करें। यदि एक वक्त भोजन करते हैं तो उसमें गरिष्ठ भोजन के स्थान पर सुपाच्य और पौषि्टक भोजन को शामिल करें। खाने में रोटी, दाल, हरी सब्जी, सलाद, दही, चटनी, पनीर या उससे बने पदार्थ शामिल करें। तेज मिर्च-मसालों का उपयोग न करें। मूंगफली दाने, सूखे मेवे भोजन के अतिरिक्त खाएं। साबूदाने की खिचड़ी या आलू, लौकी का हलवा खाने के बजाए कुट्टु, सिंघाड़े या राजगीर के आटे से बना फलाहार करें। सुबह उठने के बाद ज्यादा देर तक भूखे न रहें।

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