Health news radiotherapy of cancer patients can be done with modern machines in bhopal indore and rewa medical colleges: digi desk/BHN/भोपाल/ कैंसर मरीजों के उपचार की बड़ी सुविधा भोपाल, इंदौर और रीवा के सरकारी मेडिकल कालेज में शुरू की जा रही है। मरीजों को रेडियोथेरेपी देने के लिए यहां पर लीनियर एक्सीलेरेटर मशीनें लगाई जाएंगी। यह रेडियोथेरेपी की अत्याधुनिक तकनीक है। इसमें जहां कैंसर होता है, सिर्फ वहीं की कोशिकाएं नष्ट की जाती हैं। आसपास की कोशिकाओं को नुकसान बहुत कम होता है। तीनों जगह पर यह मशीनें पीपीपी माडल से लगेंगी। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि निजी अस्पतालों के मुकाबले रेडियोथेरेपी पर 20 से 30 प्रतिशत तक खर्च ही आएगा।
मशीन लगाने के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। कंपनी का चयन हो जाता है तो भी यह सुविधा शुरू होने में 11 महीने लग जाएंगे। इसकी वजह यह कि रेडियोथेरेपी देने के लिए अलग कक्ष बनाया जाता है। रेडिएशन बाहर नहीं जाए, इसके लिए लेड की मोटी दीवार तैयार की जाती है। इसके बाद एटामिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (एईआरबी) से स्वीकृति लेनी होती है।
प्रदेश में 10 से ज्यादा निजी अस्पतालों में लीनियर एक्सीलेरेटर हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में सिर्फ एम्स में पिछले साल से यह सुविधा शुरू की गई है। आयुष्मान भारत योजना में आने वाले मरीजों को भी सरकारी अस्पताल रेडियोथेरेपी के लिए निजी अस्पताल भेजते हैं।
निजी अस्पतालों में 20 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक आता है खर्च
लीनियर एक्सीलेरेटर से रेडियोथेरेपी देने में निजी अस्पतालों में 20 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक खर्च आता है। यह बीमारी की अवस्था पर निर्भर करता है कि उसे कितना और कितनी बार डोज देना है। एक बार का खर्च करीब 20 हजार रुपये आता है। जिन अस्पतालों में पीपीपी से मश्ाीनें लगाई जा रही हैं वहां यह खर्च निजी अस्पतालों के मुकाबले 20 से 30 प्रतिशत तक ही आएगा।
नौ मेडिकल कालेजों में लगेगी सीटी-एमआरआइ
प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कालेजों में भोपाल, रीवा, ग्वालियर और छिंदवाड़ा छोड़ बाकी जगह पीपीपी माडल पर सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीनें लगाई जाएंगी। इसकी प्रक्रिया भी चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने शुरू कर दी है। भोपाल में सीटी-एमआरआइ मशीन चार साल से पीपीपी माडल पर चल रही है। इंदौर में भी इसी तरह से दोनों मशीनें चल रही थीं, लेकिन अनुबंध नहीं होने से अभी सुविधा नहीं मिल पा रही है। छिंदवाड़ा और ग्वालियर मेडिकल कालेज में पहले से ही शासन की तरफ से मशीनें लगी हुई हैं। जिन कालेजों में पीपीपी से सीटी-एमआरआइ लगाई जा रही हैं उनमें इंदौर, सागर, शहडोल, विदिशा, रतलाम, जबलपुर शिवपुरी, खंडवा व दतिया हैं।
इनका कहना है
भोपाल समेत तीन मेडिकल कालेजों में लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन लगाई जाएंगी। इसके बाद बाकी में भी लगाने का निर्णय लिया जाएगा। इससे मरीजों को काफी सुविधा हो जाएगी।
– विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, मप्र शासन