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Tiger in MP: प्रदेश में 11 जनवरी तक चलेगा बाघ गणना का पहला चरण, 13 वन क्षेत्र में कैमरे लगाए गए 

Tiger in Madhya Pradesh:digi desk/BHN/ भोपाल/बाघ गणना का पहला चरण 17 नवंबर को शुरू हो गया है, जो मध्य प्रदेश में 11 जनवरी 2022 तक चलेगा। प्रदेश की नौ हजार बीटों को चार चरणों में बांटकर बाघों की उपस्थिति के प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। ढाई हजार बीटों का पहला चरण 23 नवंबर को समाप्त होगा। इन सात दिनों में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण (पेड़ों पर खरोंच के निशान, घास पर बैठने-लौटने के निशान, पगमार्क, मल-मूत्र के प्रमाण) तलाश किए जाएंगे। वन विभाग ने राष्ट्रीय बाघ आकलन के लिए तय चरणों में से तीसरे चरण पर भी काम शुरू कर दिया है। इसमें प्रदेश के 13 वनमंडल एवं वनक्षेत्र में कैमरे से बाघों की तस्वीर लेना शुरू कर दिया है। इन क्षेत्रों में 3100 ट्रेप कैमरे लगाए गए हैं।

देश में पांचवीं बाघ गणना शुरू हो चुकी है, जिसके नतीजे दिसंबर 2022 में आ सकते हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत गणना चार चरणों में होना है। पहले चरण में बाघ की मौजूदगी की संभावना वाले स्थानों पर प्रमाण जुटाए जाते हैं। सात दिन का पहला चक्र पूरा होने के बाद दूसरे चरण में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक संभावित क्षेत्रों में जीआइएस मैप के जरिए बाघ की उपस्थिति का आकलन करेंगे।

तीसरे चरण में ट्रेप कैमरे लगाकर बाघों के फोटो लिए जाते हैं। जबकि, चौथे चरण में संरक्षित क्षेत्रों में बाघों की गिनती होती है पर मध्य प्रदेश में पहला चरण ही दो महीने चलेगा। यह कार्ययोजना टाइगर स्टेट के खिताब से महज दो बाघों की कमी से पीछे रहे कर्नाटक राज्य से नजदीकी मुकाबला होने के मद्देनजर अपनाई गई है।

दरअसल, देश की कुल 30 हजार बीटों में से नौ हजार मध्य प्रदेश में हैं। इतने बड़े क्षेत्र में सीमित समय और संसाधन में गिनती करना मुश्किल था इसलिए पहले चरण को चार चरणों में विभाजित कर दिया है। अब एक से सात एवं 15 से 21 दिसंबर तक ढाई-ढाई हजार बीटों और पांच से 11 जनवरी 2022 तक चलने वाले चौथे चरण में डेढ़ हजार बीटों में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण तलाश किए जाएंगे।

तीसरा चरण भी शुरू

वन विभाग ने ट्रेप कैमरे लगाकर बाघों के फोटो लेना शुरू कर दिया है। अभी कुनो पालपुर, दक्षिण पन्ना, सतना, उमरिया, उत्तर शहडोल, पश्चिम मंडला, उत्तर बालाघाट, दक्षिण बालाघाट, दक्षिण सिवनी, उत्तर बैतूल, (खंडवा-पश्चिम बैतूल-हरदा और भोपाल-सीहोर की सीमा) और देवास वनमंडल में कैमरे लगाए गए हैं।

जल्द आएगा गणना का परिणाम

बाघों की गणना के आंकड़े आमतौर पर सवा से डेढ़ साल में आते हैं क्योंकि मैदानी जानकारी जुटाने के बाद उसकी कम्प्यूटर की मदद से साफ्ट कापी तैयार कर देहरादून भेजी जाती है। इस बार कर्मचारियों को सीधे मोबाइल एप में ही आंकड़े दर्ज करने के लिए कहा गया है। इस कारण वैज्ञानिकों तक आंकड़े पहुंचाने में दोहरी मेहनत नहीं करना पड़ेगी और बाघ गणना का परिणाम जल्द आएगा।

 

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