ग्वालियर। जिन्होंने बचपन से गरीबी, भुखमरी और घर में आर्थिक तंगी से कलह होते देखा हो उनके लिए शोरूम में सजे महंगे खिलौनों से खेलना एक सपना ही था। ऐसे ही 10 हजार बच्चों के चेहरे पर खिलौने सी मुस्कान लाकर एक शख्स उनका “खिलौने वाला अंकल” बन गया। यहां हम बात कर रहे हैं इलेक़्ट्रॉनिक कारोबारी व समाजसेवी हेमंत निगम और उनकी संस्था “टॉयज फॉर टॉट्स” की।
एक घटना ने उन्हें इस तरह प्रेरित किया कि उन्होंने दृढ़ संकल्प ले लिया कि उनके रहते कोई गरीब मासूम खिलौने के बिना नहीं रहेगा। इतनी ब़ड़ी संख्या में खिलौने बांटने पर वर्ष 2019 में यह संस्था “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड” तक में अपना नाम दर्ज करा चुकी है। अब स्थानीय प्रशासन भी इनको सहयोग कर रहा है।
यह घटना बनी खिलौने बांटने की प्रेरणा
टॉयज फॉर टॉट्स संस्था के अध्यक्ष व कारोबारी हेमंत निगम बताते हैं कि तीन साल पहले जब वे कार से माधव नगर के पास से गुजरे तो वहां टॉयज (खिलौने) शोरूम के बाहर दो बच्चों को बैठे देखा। लड़के और लड़की के शरीर पर तन ढंकने को भी पूरे कपड़े नहीं थे, वे शोरूम में रखी गुड़िया को निहार रहे थे।
दोनों बच्चों के मां-पिता पास में ही मजदूरी कर रहे थे। उनके लिए खिलौना सिर्फ सपना ही था। बच्चों को जब बिस्किट दिए तो लेने से इन्कार कर दिया। फिर मुझे लगा रोटी-कपड़ा तो सब देते हैं लेकिन मासूमियत को खिलौनों की जरूरत थी। इसके बाद खिलौने बांटने का निर्णय लिया।
सेंट्रल जेल में चला रहे स्कूल
“टॉयज फॉर टॉट्स” संस्था के सदस्य 2018 में जब जेल में रहने वाले बच्चों को खिलौने बांटने पहुंचे तो वहां तत्कालीन कलेक्टर राहुल जैन से मुलाकात हुई। उन्होंने सुझाव दिया कि जेल में स्कूल खोलें। 2020 में संस्था ने बाल शिक्षा केंद्र नाम से स्कूल शुरू किया। यहां 21 बच्चे हैं, लेकिन स्कूल में पढ़ने लायक 10 ही हैं। शिक्षा विभाग और महिला बाल विकास विभाग ने दो शिक्षकों का इंतजाम भी कर दिया।