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फर्जी मुठभेड़ के विरोध में 500 से अधिक ग्रामीण ने थाने के सामने किया प्रदर्शन

सुकमा

सुकमा में बीते दिनों करकनगुड़ा इलाके में हुए सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ के बाद 500 से अधिक ग्रामीण चिंतलनार में थाने के सामने प्रदर्शन और रैली करते नजर आए । बता दें कि पुलिस की से मुठभेड़ बता रही है उसे पर ग्रामीण फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं ग्रामीणों का आरोप है कि रोजमर्रा की जरूरत के लिए निकले ग्रामीणों को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाकर हमला किया गया जिसमें एक ग्रामीण की गोली लगने से मौत हो गई। इसके अलावा ग्रामीणों का आरोप है कि दो ग्रामीणों को नक्सली बताकर सुरक्षाबल के जवान अपने साथ लेकर गए थे।

मामला 24 सितंबर का है जहां पुलिस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कर्कनगुड़ा में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी जिसमें तीन नक्सलियों के मारे जाने का दावा पुलिस के द्वारा किया गया था और यह लिखा गया था कि जंगलों की आड़ में ताबड़तोड़ गोलीबारी के बीच नक्सली अपने साथी नक्सलियों के  शवो को ले जाने में सफल हो गए । इसके बाद भारी मात्रा में विस्फोटक और नक्सली सामग्री की तस्वीर भी पुलिस के द्वारा जारी की गई थी। नक्सली संगठन ने मछली पकड़ने गए ग्रामीण की हत्या का लगाया आरोप।

बता दें कि इस मामले पर नक्सलियों की दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी सचिव गंगा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी किया जिसमें सुरक्षा बलों पर आरोप लगाते हुए नक्सली संगठन ने लिखा है कि 24 सितबंर तड़के चिंतलनार थाना व पुलनपाड़, मुकरम, बुरकापाल कैम्पों से सीआरपीएफ, कोब्रा, बस्तर फायटर्स, डीआरजी सशस्त्र बलों ने 1,000-1,500 के तादाद में बड़े मोरपल्ली, बंडा मोरूम, गोलागूडा, करकानगूड़ा गांवों में सैन्य अभियान संचालित कर ग्राम करकानगूड़ा के ऊपर तड़के 3 बजे हमला किये. हमले के वक्त कुछ ग्रामीण हर दिन कि तरह मछली शिकार के लिए जाकर चिंतावागु नदी किनारे सोये थे. सशस्त्र गुंडा बलों ने सोये हुए इन ग्रामीणों को नाटकीय ढंग से "तेदार कॉमरेड" ( उठो कॉमरेड) ऐसा कहते हुए ग्रामीणों को खुद चेताकर उनके ऊपर गोलियां बरसायी गई. एक ग्रामीण कवासी भीमा ने जान बचाने के लिए भागते वक्त गोलियां खाकर नदी में जाकर गिर पड़ा. इसका लाश ग्रामीणों ने घंटों तालाशी के बाद पाकर गांव में लेके आया और एक ग्रामीण इस गोली बारी से किसी तरह भागकर जान बचा सका. अन्य दो ग्रामीण कवासी बंडी, माड़वी भीमा को इन गुंडा बलों ने हाथ बांधकर अपने साथ ले गये. इस जघन्य हत्या को मुठभेड़ के रूप में दिखाने के लिए पुलिस बलों द्वारा जंगलों में अंधाधुंध सेलिंग भी कि गई हैं।

इसकी चपेट में आकर ग्राम मोरपल्ली के एक ग्रामीण भी घायल हुये है । इतना फाशविक तरिके से एक निर्मम हत्ये को अंजाम देकर उल्टे मे इसे हमारे गेरिला बटालियन के साथ चली एक कथित मुठभेड़ के रूप में दिखाने में भाजपा तथा सशस्त्र गुंडा बलों कि विफल प्रयासे उनके अत्यंत फाशविक हिंसा प्रवृत्ति को साफ तौर पर दर्शाती है । माड़वी भीमा से 15 हजार रुपया लूट लूटने का भी आरोप लगाया है। पुलिस बलों द्वारा पकड कर ले गये उक्त ग्रामीणों को छुड़ा लाने जा रहे मड़काम भीमें, मड़काम देवे और अन्य ग्रामीण महिलाओं से पुलिस बलों द्वारा बेरहमी से मार-पीट की गयी मड़काम देवे को पुलिस बलों द्वारा मारने कि कोशिश भी की गई. लेकिन इस बच्चे कि माँ को मारने के बारे में उन्हीं के बीच हुई आपसी वाद-विवाद के चलते आखिरकार उसे छोड़ा गया।

23 सितबंर को सिलंगेर, टेकलगूड़ा कैंपों से सशस्त्र बलों ने टेकलगुड़ा, जोन्नागूड़ा, अल्लीगूड़ा गांवों पर रातों-रात घेर कर हमला की. जोन्नागूड़ा गांव से 5 आम ग्रामीणों को बेदम पिटाई कर पूर्नम लखमा, अवलम इंगा, ओयम पांडू, अवलम सुक्कू, काम अर्जून को अपने साथ ले जाने और गांव में हमले के वक्त जनता का साजो-सामान भी पुलिस बलों ने लूट कर ले जाने का भी आरोप लगाया है।

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