MP E-Tendering Scam:digi desk/BHN/ मध्य प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले में नया पेंच आ गया है। देशभर में हुई कार्रवाइयों के बाद यह कवायद शुरू हो गई है कि इसकी जांच नए सिरे से की जाए। इसके लिए एक आवेदन घोटाले में आरोपित वीरेंद्र पांडे ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) को दिया है। पांडे गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के निजी सचिव रहे हैं। हालांकि उनके आवेदन पर जांच एजेंसी ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है।
तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक के ई-टेंडर घोटाले के आरोपित पांडे ने ईओडब्ल्यू को हाल ही में एक आवेदन देकर मांग की है कि उनके खिलाफ लगे आरोपों की फिर से जांच की जाए। उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। पूरे घोटाले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। सिर्फ फोन काल और काल रिकार्डिंग के आधार पर आरोपित बनाया गया है। जांच एजेंसी ने उनका आवेदन ले लिया है।
पांडे के खिलाफ हुई कार्रवाई
कमल नाथ सरकार के दौरान इस घोटाले के तहत पांडे को ईओडब्ल्यू ने 27 जुलाई 2019 को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था।
यह है मामला
ई-टेंडरिंग घोटाला अप्रैल 2018 में सामने आया था, जब जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कंप्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि निविदाओं में टेंपरिंग की जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी।
प्रारंभिक जांच में पाया गया कि जीवीपीआर इंजीनियर्स और अन्य कंपनियों ने जल निगम के तीन टेंडरों में बोली की कीमत में 1,769 करोड़ का बदलाव कर दिया था। ई-टेंडरिंग को लेकर ईओडब्ल्यू ने कई कंपनियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी प्रकरण दर्ज कर चुका है। हाल ही में ईडी ने हैदराबाद में मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी के चैयरमैन श्रीनिवास राजू व सहयोगी (सब कांट्रैक्टर) आदित्य त्रिपाठी को हैदराबाद में गिरफ्तार किया था। मप्र के पूर्व मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी से भी पूछताछ की गई थी।