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Satna:  जिला प्रशासन के सहयोग से होगी ब्लॉकों में ‘‘वनवासी लीलाओं’’ की प्रस्तुतियां

सतना/भोपाल, भास्कर हिंदी न्यूज़/ मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित ‘‘वनवासी लीलाओं’’ क्रमशः भक्तिमती शबरी और निषादराज गुह्य की प्रस्तुतियां जिला प्रशासन के सहयोग से प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉकों में होंगी। इस क्रम में जिला प्रशासन सतना के सहयोग से दो दिवसीय वनवासी लीलाओं की प्रस्तुतियां 10 एवं 11 मई 2022 को केन्द्रीय सभागार बोनांजा कॉन्वेंट हायर सेकेंड्री स्कूल सतना में आयोजित की जा रही है। प्रस्तुतियों की श्रृंखला में सर्वप्रथम 10 मई 2022 को सुश्री सविता दाहिया-सतना द्वारा भक्तिमती शबरी एवं 11 मई 2022 को श्री दुर्गेश सोनी-बरही (कटनी) द्वारा निषादराज गुह्य की प्रस्तुति दी जा रही है। इन दोनों ही प्रस्तुति का आलेख श्री योगेश त्रिपाठी एवं संगीत संयोजन श्री मिलिन्द त्रिवेदी द्वारा किया गया है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम प्रतिदिन सायं 7 बजे से आयोजित किया गया है।

कार्यक्रम के पहले दिन 10 मई 2022 को वनवासी लीला नाट्य भक्तिमती शबरी की प्रस्तुति दी जायेगी। लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया गया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं। लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं। तब शबरी मां गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूब कर अपने प्राण त्याग देती हैं। अगले दृश्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती हैं। भील समुदाय़ शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है। लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़ कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे। लीला के अगले दृश्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए जायेंगे। भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले दृश्य में शबरी समाधि ले लेती हैं।

वहीं दूसरे दिन 11 मई को निषादराज गुह्य की प्रस्तुति दी जायेगी। प्रस्तुति की शुरूआत में बताया है कि भगवान राम ने वन यात्रा में निषादराज से भेंट की। भगवान राम से निषाद अपने राज्य जाने के लिए कहते हैं लेकिन भगवान राम वनवास में 14 वर्ष बिताने की बात कहकर राज्य जाने से मना कर देते हैं। आगे के दृश्य गंगा तट पर भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। केवट की प्रेम वाणी सुन, आज्ञा पाकर गंगाजल से केवट पांव पखारते हैं। नदी पार उतारने पर केवट राम से उतराई लेने से इंकार कर देते हैं। कहते हैं कि हे प्रभु हम एक जात के हैं मैं गंगा पार कराता हूं और आप भवसागर से पार कराते हैं इसलिए उतरवाई नहीं लूंगा। लीला के अगले दृश्यों में भगवान राम चित्रकूट होते हुए पंचवटी पहुंचते हैं। सूत्रधार के माध्यम से कथा आगे बढ़ती है। रावण वध के बाद श्री राम अयोध्या लौटते हैं और उनका राज्याभिषेक होता है। लीला नाट्य में श्री राम और वनवासियों के परस्पर सम्बन्ध को उजागर किया गया है।

 

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