Gyanvapi Mosque: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ कोर्ट के आदेश के शुक्रवार को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त ने सर्वे और वीडियोग्राफी किया। इस दौरान मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने इनके खिलाफ नारेबाजी की। नारेबाजी और हंगामे के बाद पुलिस ने इलाके में गश्त और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बढ़ा दी है। पुलिस लोगों से परिसर से हटने की भी अपील कर रही है। आपको बता दें कि यह वीडियोग्राफी और सर्वे अदालत के आदेश पर कराया जा रहा है। एक पक्ष ने दावा किया है कि मस्जिद जहां बनाई गई है, वहां पहले मंदिर था, जिसके प्रमाण अभी भी मौजूद है। वहीं मुस्लिम पक्ष ने सर्वे और वीडियोग्राफी का विरोध किया है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 6 मई को सर्वे कर 10 मई को रिपोर्ट सौंपी जानी है।
मस्जिद के मौलाना का कहना है कि वे किसी सर्वे टीम को मस्जिद में प्रवेश नहीं करने देंगे। उनका और मुस्लिम पक्ष के वकीलों का कहना है कि कोर्ट ने मस्जिद के अंदर जाकर सर्वे करने का आदेश नहीं दिया है। जिस मंदिर की बात कही जा रही है, वह मस्जिद की सीमा से बाहर है। टीम वहां जाकर सर्वे कर सकती है। वहीं हिंदू पक्ष का दावा है कि छत पर नमाज पढ़ी जाती है और नीचे श्रृंगार गौरी, भैरव बाबा, हनुमानजी और विग्रह देवताओं की मूर्तियां हैं, जिनकी पूजा आज भी की जाती है। आज भी इस स्थान का हक व्यास परिवार के पास है जो पूजा करता है।
इतिहासकारों के मुताबिक, यह विवाद पहली बार 1936 में कोर्ट में गया था। 1937 में फैसला आया था और कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज कर दिया था। तब इतिहासकारों ने वहां मूलरूप से मंदिर होने की बात कही थी। इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि कोर्ट जानकारों की नियुक्ति करे और फैसला हो। अब हिंदू पक्ष का कहना है कि कोर्ट के ताजा आदेश से यही हो रहा है तो किसी को आपत्ति क्यों? इतिहासकारों का आज भी मानना है कि यहां मंदिर था, जिसे ढहाकर मस्जिद खड़ी कर दी गई। 14वीं और 15वीं शताब्दी के मंदिर निर्माण के प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं।