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Online Gaming Addiction: गेमिंग की लत के कारण 6 साल के बच्चे ने दो दिन खाना नहीं खाया..!

Online Gaming Addiction: digi desk/BHN/ इंदौर/ लाकडाउन में आनलाइन क्लास के कारण बच्चे मोबाइल और लैपटाप का उपयोग ज्यादा करने लगे। पढ़ाई के लिए उपयोगी ये संसाधन अब कई अभिभावकों के लिए परेशानी बन गए हैं। मोबाइल व लैपटाप के कारण कई बच्चों को आनलाइन गेमिंग की लत लग गई है। पिछले दिनों छह साल के एक बच्चे को जब उसके माता-पिता ने मोबाइल नहीं दिया तो उसने दो दिन तक खाना नहीं खाया। यह बच्चा 10-10 घंटे तक गेम खेल रहा था। माता- पिता ने उसे मारा-पीटा, फिर भी आदत नहीं छूटी। उसका गुस्सा और नाराजगी इस कदर बढ़ी कि वह घर के सामान तोड़ने लगा।

गेमिंग की लत वाले बच्चों के मामले शहर के मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंचने की दर लाकडाउन के बाद दोगुनी हो गई है। पहले जहां मनोवैज्ञानिकों के पास महीने में आठ से 10 केस पहुंचते थे, वहीं अब हर दिन दो से तीन बच्चों के स्वजन उनकी गेमिंग की लत छुड़वाने के लिए पहुंच रहे हैं।

गेम व वीडियो चैट में अपने वीडियो शेयर करने लगा

12 साल के एक किशोर को आनलाइन गेम की आदत लग गई। धीरे-धीरे उसका आनलाइन गेम में समूह बनने लगा। किशोर जितना ज्यादा गेम पर समय बिताता था, उसके आधार पर उसे पाइंट मिलने लगे और चैटिंग करने वाले समूह में लोगों की संख्या बढ़ने लगी। इस गेम के साथ किशोर अन्य अनजाने लोगों से वीडियो चैट करने लगा और अपने घर-परिवार की जानकारी वीडियो बनाकर शेयर करने लगा। माता-पिता ने उसे गेम खेलने से रोका तो गुस्से में वह घर की चीजंे तोड़ने लगा। वह कमरे में खुद को बंद कर आइसोलेट रहने लगा। उसकी गेमिंग की आदत को मां-बाप भी छुड़वा न सके तो मनौवैज्ञानिक और काउंसलर की मदद लेनी पड़ी। इसी तरह 21 साल के एक लड़के को मोबाइल के साथ लैपटाप का स्क्रीन एडिक्शन हो गया। वो रात-रात भर जागकर व सुबह चार बजे तक मोबाइल व लैपटाप पर गेम खेलता था।

कम करें गेमिंग की आदत

मनोविज्ञानी माया वोहरा के अनुसार लाकडाउन के कारण बच्चों का स्कूल जाना बंद हुआ है। इसके साथ उनकी आउटडोर व इनडोर गतिविधि भी बंद हो गई थीं। इस वजह से बच्चे ज्यादा समय मोबाइल व लैपटाप पर बिता रहे हैं। इसके कारण उन्हें गेमिंग की लत लग रही है। लगातार बैठे रहने के कारण बच्चों में मोटापा भी बढ़ा है। बच्चों को इस तरह की लत लगे, उसके पहले ही स्वजन को इस पर ध्यान देना होगा। बच्चों के आनलाइन गेमिंग के टाइम को एकाएक कम करने के बजाय धीरे-धीरे उसका समय कम करें। बच्चे को अन्य दूसरी गतिविधियों में शामिल करें। मोबाइल गेमिंग की लत लगने के बाद बच्चों को उलाहने देने व कोसना सही नहीं है। बच्चों को निगेटिव रिमार्क न दें। उनके साथ शारीरिक हिंसा मारपीट व सख्ती नहीं करें।

आनलाइन क्लास के बाद बच्चों को न दें मोबाइल

मनोचिकित्सक डा. दीपक मंशारमानी कहते हैं मेरे पास हर सप्ताह चार से पांच ऐसे मरीज आ रहे हैं जिनमें माता पिता को शिकायत रही है कि उनका बच्चा दिनभर मोबाइल व लैपटाप पर गेमिंग में लगा रहता है। इस तरह की आदत के कारण बच्चे किसी क बात नहीं सुनते। ऐसे में स्वजनों को उन पर अनुशासन बनाए रखने की जरूरत है। बच्चों को मोबाइल तब तक ही दें जब तक उनकी आनलाइन क्लास हो। उसके बाद बच्चों को मोबाइल न दें।

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