छतरपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/ बुंदेलखंड में इस खरीफ सीजन में किसानों ने उड़द, मूंग और तिल की बजाय बड़े पैमाने पर मूंगफली की बुवाई की है। यही फैसला किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। दरअसल मूंगफली की फसल दीमक चट कर रहे हैं और विभाग के पास कोई दवा ही नहीं है।
प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त से किसानों को लगा कि मूंगफली की खेती से उनकी तकदीर बदलेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। बुंदेलखंड में छतरपुर जिले सहित उत्तर प्रदेश के जिलों में हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, जालौन, बांदा और चित्रकूट में भी इस बार मूंगफली की खेती को बढ़ावा मिला है। पानी की कमी और सूखे के लिए चर्चित बुंदेलखंड के किसान पहले से अन्य फसलों में लगने वाली बीमारियों से परेशान हैं। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि मूंगफली में कीट और रोगों की समस्या नहीं होती है। इसी सोच से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैले बुंदेलखंड अंचल के कई क्षेत्रों में किसानों ने इस बार अन्य खरीफ फसलों की तुलना में मूंगफली की बुवाई अधिक मात्रा में की है। अकेले छतरपुर जिले में किसानों ने 37000 हेक्टेयर में मूंगफली बोई है, जिससे किसानों को काफी उम्मीद थी, मगर दीमकों के कारण पूरी फसल बर्बादी के कगार पर है। इस मुश्किल घड़ी में कृषि विभाग भी किसानों की मदद करने में असहाय लग रहा है। दरअसल फसल को बीमारियों के प्रकोप से बचाने के लिए कृषि विभाग ने न तो कोई एडवायजरी जारी की गई है, न कोई जांच दल गठित किया है।
मूंगफली चट कर रहे
बुंदेलखड अंचल के छतरपुर जिले के सैकड़ों किसान खेत में दीमकों के प्रकोप से बर्बाद हो रही फसल से परेशान हैं। दीमक बड़ी तेजी से फसल को चट करने में लगे हैं और किसान कुछ नहीं कर पा रहे हैं। किसान अमान सिंह, किसन यादव और गजरथ लोधी ने बताया कि उन्होंने करीब हजार एकड़ में मूंगफली की बोई है। अब फसल बीमारी के प्रकोप से खेतों में सूख रही है। फसल को दीमक ने अपनी चपेट में ले लिया है। इसी तरह छतरपुर तहसील के कई गांवों के किसान दीमकों से फसल को बचाने को लेकर परेशान हैं। वहीं विभाग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा। किसानों का आरोप है कृषि अधिकारी उनकी सुध ही नहीं ले रहे हैं।
कई जगह दीमक के बारे में सूचना मिलने पर कृषि विभाग का मैदानी अमला उनके खेतों में जा रहा है। दीमक के प्रकोप से निपटने के लिए कोई सही दवाई उपलब्ध नहीं है, किसान को वैकल्पिक दवाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
पीसी रूसिया, आरएईओ, कृषि छतरपुर