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आलेख: कोविड टीकाकरण में लगातार आगे बढ़ता मध्यप्रदेश- डॉ. संतोष शुक्ला

कोविड-19 टीकाकरण के फायदे

टीके महामारी नियंत्रण के लिए कारगर शस्त्र हैं। पूर्ण टीकाकरण पश्चात बीमारी दर में अत्यन्त कमी देखी गई है। जिन्हें दोनों टीके सही समय पर लग चुके हैं उनमें मृत्यु दर, कोविड पश्चात विकलांगता दर में आशातीत कमी पायी गयी है। टीके बीमारी से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षक प्रणाली को मजबूत करते हैं। टीके संक्रमण दर में अत्यंत गिरावट लाते हैं। शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक परेशानियों से बचाते हैं। टीके बीमारी उन्मूलन में सहायक हैं। टीके ‘‘आउट ऑफ पॉकेट’’ हर परिवार का खर्च बचाते हैं।
कोरोना जैसी घातक बीमारी से बचाव के दो ही महत्वपूर्ण शस्त्र है। एक वैक्सीन और दूसरा मास्क। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान लगातार इन दोनों शस्त्रों का उपयोग कर कोरोना को हराने की अपील प्रदेशवासियों से कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम सब इस अपील को जीवन में उतारें। घर के बाहर निकलते ही मास्क जरूर लगायें। इसके साथ ही 25 अगस्त से शुरू हो रहे दो दिवसीय वैक्सीनेशन महा-अभियान-2 में सक्रिय भागीदारी निभायें। निर्धारित टीकाकरण केन्द्रों में स्वयं और अपने परिजनों को वैक्सीन लगवाने के साथ ही पड़ोसियों को भी इसके लिए प्रेरित करें। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए जरूरी है कि सभी डबल सुरक्षा के लिये वैक्सीन का दूसरा डोज भी लगवायें। कोविड-19 वैक्सीनेशन महा-अभियान-2 प्रदेश के सभी जिलों में एक साथ आयोजित होगा, जिसमें 20 लाख व्यक्तियों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है।

नहीं है कोई प्रतिकूल प्रभाव

प्रदेश में अभी तक 4 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लग चुका है। इनमें किसी को भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव (साइड इफेक्ट) की रिपोर्ट टीकाकरण सेंटर में नहीं मिली है। कुछ लोगों में कोविड-19 के प्रति विभिन्न प्रकार की भ्रांतियाँ हैं। खासतौर से गाँवों और ग्रामीण क्षेत्रों में, जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। जैसे टीका लगवाने के कुछ दिन बाद मेरे पड़ोसी की मृत्यु हो गई, टीका लगवाने के बाद बीमार हो गये, इससे नसबंदी हो जाती है, फेफड़े खराब हो जाते हैं, टीका लगवाते ही कोरोना हो जाता है आदि। यह सब भ्रांतियाँ सत्य से कोसो दूर हैं। टीका पूरी तरह से असरकारी और हानिरहित है। आज तक कोई ऐसी दवा नहीं बनी है, जिससे किसी को बीमार किया जा सके। अफवाहों पर हमें ध्यान नहीं देना है।

आप दें साथ तो बने बात

टीका हमारा दोस्त है, दुश्मन नहीं। हमें डरना नहीं है बल्कि इस बात को समझना है कि टीके से ही हमने बड़ी माता (स्माल पॉक्स), पोलियो और नवजात शिशुओं में टिटनेस जैसी बीमारियों का अन्त किया है। टीका लगवाने के बाद कुछ लोगों को एक-दो दिन बुखार या बदन दर्द जैसे कुछ लक्षण आना सामान्य बात है। यह एकदम मामूली प्रभाव है, जो कुछ ही घंटों में समाप्त हो जाते हैं। शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र विकसित होने की प्रक्रिया में यह लक्षण आना सामान्य बात है।

कोविड-19 टीकाकरण पश्चात सामान्य प्रतिक्रियाएँ

कुछ लोगों को टीका लगने के बाद मामूली दर्द, हल्का बुखार, थोड़ी सूजन, लालामी, दर-दरे, खुजली जैसे लक्षण आते हैं, जो 24 से 48 घंटे में खुद ही ठीक हो जाते हैं। इसलिये घबराने या डरने की कोई बात नहीं है।यह सभी लक्षण दर्शाते हैं कि बीमारी से लड़ने की ताकत शरीर में पहुँच चुकी है, इससे घबराएँ नहीं। दर्द या बुखार अधिक होने पर पैरासिटामोल गोली राहत दिलाती है। सुई लगे स्थान पर ठंडे पानी की पट्टी लगा सकते हैं। अन्य कोई तकलीफ होने पर ‘‘फॉलोअप’’ के लिए 24 घण्टे परामर्श संपर्क नंबर-108 एवं 1075 हमेशा उपलब्ध हैं।

निःशुल्क परिवहन एंबुलेंस 108 सेवा उपलब्ध है

टीके का नसबंदी से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। यह कोरी अफवाह है। टीका लगवाने से फेफड़े खराब होने की बात भी पूरी तरह से तथ्यहीन है। फेफड़े कोरोना संक्रमण से खराब होते हैं। यह टीका तो कोरोना संक्रमण से प्रभावी सुरक्षा देता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह टीका किशोरी बालिकाओं और महिलाओं द्वारा माहवारी के दौरान भी लगवाया जा सकता है।
यह धारणा सही नहीं है कि टीकाकरण तो गर्भवती महिलाओं और शिशुओं का किया जाता है, बड़ों का नहीं। इसका माकूल उत्तर यह है कि जैसे शिशु को टीकाकरण से जानलेवा रोगों से सुरक्षा मिलती है, वैसे ही बड़ों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए यह टीका है। समझदारी इसी में है कि हम बीमारी न होने के उपायों का पालन करें न कि इसमें कि बीमार होकर फिर उपचार करायें। गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के लिए भी सरकार ने विशेष अभियान चलाकर बड़ी संख्या में टीकाकरण किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रियाओं और मानकों के अनुरूप वैक्सीन का परीक्षण किया गया है। पूरी तरह प्रभावी और सुरक्षित पाये जाने के बाद ही इसे लगाने की अनुमति दी गई है। वैक्सीन को स्टार्टिंग प्वाइंट से एण्ड प्वाइंट तक कोल्ड चेन में रखा जाता है, जिससे वैक्सीन खराब नहीं होती।
कोरोना संक्रमित हो चुके व्यक्ति को रिपोर्ट निगेटिव आने के 3 माह बाद टीका लगवाना चाहिए। टीका लगवाने के बाद आपके दोबारा संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है। इसके बाद भी यदि संक्रमण हो जाता है, तो वह जानलेवा नहीं हो पाता। दोनों वैक्सीन गहन अध्ययन के बाद निर्मित हुई है, दोनों की ही गुणवत्ता और सुरक्षा एक समान है।

ऐसे में कोरोना की पहली, दूसरी लहर बीत जाने बाद अब जब तीसरी लहर की आशंका है, तो नागरिकों को अपने विवेक से निर्णय लेकर टीका लगवाकर स्वयं को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित करने में योगदान देना होगा। जिस तरह जागरूक नागरिक वोट डालता है, वैसे ही जागरूक नागरिक टीका भी लगवा रहे हैं और लगवाना भी चाहिये। इस तरह जब हम करेंगे तो न केवल हमारा परिवार, हमारे पड़ोसी, हमारी गली, हमारा मोहल्ला/बस्ती, गाँव, कस्बा, शहर और जिला, फिर प्रदेश और देश कोरोना संक्रमण से सुरक्षित हो सकेगा। इसलिये मेरा सुझाव और आग्रह देनों है कि आपके मोहल्ले, गाँव या कस्बे में अभी तक संक्रमण नहीं हुआ है, तब भी आप टीका जरूर लगवायें, क्योंकि यह कभी भी कहीं भी पहुँच सकता है। पहले से ही सतर्क रहना जरूरी है। ध्यान रखिये कोरोना संक्रमण पड़ोसी के घर लगी आग की तरह है, इससे बचाव का पहले से ही इंतजाम करना समझदारी है। इस बार आपकी यह समझदारी है आपका टीकाकरण।

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