पंडित योगेश गौतम
चलो आज फिर कुछ गाना गुनगुनाऊँ!
अपने लिए न सही औरों के लिए मुस्कराऊँ!!
तपती धरती को पैरो की ठंडक का अहसाह कराऊँ!
भादों की सुनसान रात को अपनी धड़कन सुनाऊँ!!
चलो आज फिर कुछ गाना गुनगुनाऊँ !….
अपने दर्द को अपने हमसफ़र बैलो को सुनाऊँ!
थोड़ा कम खा और ज्यादा चल इसके लिए मनाऊँ!!
धरती तू थोड़ा नरम होजा हल कम से कम पिटवाऊँ!
नाड़ी थोड़ा कम घिस मैं बांस कहा से खरीदकर लाऊँ!!
चलो आज फिर कुछ गाना गुनगुनाऊँ…..!
मैं तो सबको खाना खिलाऊँ, अपना खाना डंडो से पाऊँ!
अपना अधिकार माँगू तो राजनीति का छलावा पाऊँ!!
फिर भी पत्नी के झुमके बेंचकर खेत बो कर आऊं !
सब देश वासियों के खाने का इंतजाम तभी कर पाऊँ!!
चलो आज फिर कुछ गाना गुनगुनाऊँ…..
भारत किसानों का देश है यह सुनकर खुश हो जाऊं !
बच्चों को राष्ट्रधर्म का पाठ जय जवान जय किसान पढ़ाऊँ!!
कहने को तो मैं अन्नदाता और राष्ट्रनिर्माण का स्तंभ कहलाऊँ!
लेकिन अपने बच्चों के कपड़ों के लिए दींन हींन पिता कहलाऊँ !!
चलो आज फिर कुछ गाना गुनगुनाऊं …….!